अतिरिक्त >> मोहन राकेश की 20 कहानियां मोहन राकेश की 20 कहानियांमोहन राकेश
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मोहन राकेश की 20 कहानियां पुस्तक का आई पैड संस्करण...
आई पैड संस्करण
घड़ी में तीन बजते ही सीढ़ियों पर लाठी की खट-खट होने लगती और मास्टरजी अपने गेरुआ बाने में ऊपर आते दिखाई देते। खट-खट आवाज़ सुनते ही भागकर बैठक में पहुंच जाते और अपनी कॉपियां और किताबें ठीक करते हुए ड्योढ़ी की तरफ़ देखने लगते। घड़ी तीन बजा न चुकी होती, तो उनके ऊपर पहुंचते-पहुंचते बजा देती। मैं बहन के कान के पास मुंह ले जाकर कहता, ‘‘एक-दो-तीन!...’’
और मास्टरजी बैठक में पहुंच जाते। अगर घड़ी उनके वहां पहुंचने से दो-तीन मिनट पहले तीन बजा चुकी होती, तो वे उस पर शिकायत की एक नज़र डालते, भरकर रखे हुए गिलास में से दो घूंट पानी पीते और पढ़ाने बैठ जाते। मगर बैठकर भी दो-एक बार उनकी नज़र ऊपर हमारी दीवार-घड़ी की तरफ़ उठती, फिर अपने हाथ पर लगी हुई बड़े गोल डायल की पुरानी पीली-सी घड़ी पर पड़ती और वे ‘हुं’ या ‘त्वत्’ की आवाज़ से अपना असंतोष प्रकट करते–जाने अपने प्रति, अपनी घड़ी के प्रति या हमारी घड़ी के प्रति।
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